चेतन सिंह जौड़ामाजरा द्वारा की गई एफएमई स्कीम के क्रियान्वयन की स्थिति की समीक्षा
Status of Implementation of FME Scheme
पंजाब सरकार सूक्ष्म फूड प्रोसेसिंग उद्यमों के प्रगति के लिए वचनबद्ध और प्रयासरत
चंडीगढ़, 18 जनवरीः Status of Implementation of FME Scheme: राज्य के किसानों के कल्याण और पर्यावरण की रक्षा(welfare and environmental protection) के हेतु मुख्यमंत्री भगवंत मान के हिदायतों के अनुरूप पंजाब के फूड प्रोसेसिंग मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने आज फूड प्रोसेसिंग विभाग(Food Processing Department) की पहली मीटिंग की अध्यक्षता की और मीटिंग में केंद्र स्पोंर्स्ड स्कीम(Centrally Sponsored Scheme) ’प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज(Prime Minister Formalization of Micro Food Processing Enterprises) (पीएमएफएमई)’ के कार्यान्वयन की समीक्षा की। इस मीटिंग में मंजीत सिंह बराड़, आईएएस, डायरैक्टर-कम-सचिव, फूड प्रोसेसिंग विभाग और रजनीश तुली, जनरल मैनेजर शामिल हुए।
मंत्री ने बताया कि फूड प्रोसेसिंग विभाग पीएमएफएमई स्कीम के कार्यान्वयन की निगरानी करने वाला एक नोडल विभाग है, जिसके लिए राज्य की नोडल एजेंसी पंजाब एग्रो है। इस पीएमएफएमई स्कीम का उद्देश्य और लक्ष्य सूक्ष्म उद्यमों की मुकाबलेबाजी को बढ़ाना और फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र को उत्साहित करना है। इस स्कीम के अधीन वर्ष 2022-23 के लिए 98 करोड़ रूपये में से 68 करोड़ रूपये आरक्षित रखे जा चुके हैं।
सब्सिडी के बारे में खुलासा / Disclosure about subsidy
सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सब्सिडी के बारे में खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने अब तक मौजूदा प्रोसेसिंग इकाईयों के अपग्रेडेशन और नई फूड प्रोसेसिंग इकाइयों की स्थापना के लिए व्यक्तिगत सूक्ष्म उद्यमों/किसानों के 789 प्रस्तावों को मंजूरी दी है। कुल 62 करोड़ रूपये की सब्सिडी जारी कर दी गयी है। इन इकाइयों के द्वारा कुल पूंजी निवेश 300 करोड़ रुपये से अधिक का होगा। इन इकाइयों के द्वारा अचार, मुरब्बा, गुड़, फोर्टिफाइड चावल, बेकरी उत्पाद, शहद, पशुओं का चारा, पैकेज्ड मशरूम आदि की प्रोसेसिंग कर जा रही हैं। पंजाब महाराष्ट्र के बाद दूसरा ऐसा राज्य है जिसने छोटे फूड प्रोसेसिंग उद्यमों के लिये इतनी बड़ी सब्सिडी मंजूर की है। बठिंडा, बरनाला, मनसा और संगरूर जिलों के सूक्ष्म उद्यमों ने स्कीम का काफी लाभ उठाया है। ग्रुप श्रेणी के तहत मनसा के एफपीओ, बठिंडा केएसएचजी और होशियारपुर के एक प्रोड्यूसर को-ऑपरेटिव से संबंधित 3 प्रोजैक्टों के लिये सब्सिडी मंजूर की गई है। सब्सिडी की यह राशि कुल 1.2 करोड़ रुपये बनती है जिसका पूंजी निवेश 3.43 करोड़ रुपये है। एसएचजी के 438 सदस्यों को 1.51 करोड़ रुपये की सीड केपीटल वितरित की गई है। पीएयू लुधियाना को फलों और अन्य फसलों की प्रोसेसिंग के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा पटियाला में एक कॉमन इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित करने की मंजूरी दी गई है। इस सेंटर की निर्माण-पूर्व गतिविधियां पूरी कर ली गई हैं और इस प्रोजैक्ट पर 4 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान लगाया गया है। अमृतसर, होशियारपुर, फाजिल्का, संगरूर और बठिंडा जिलों के लिए विभिन्न उत्पादों के लिए इनक्यूबेशन केंद्रों के ऐसे पांच और प्रस्ताव केंद्र सरकार के विचाराधीन हैं। 600 से अधिक लाभार्थियों को उनके प्रोजैक्टों के व्यावसायिक और तकनीकी पहलुओं पर जिला स्तरीय प्रशिक्षण दिया गया है। इस स्कीम का लाभ उठाने के लिए किसानों और उद्यमियों को शिक्षित करने के लिए नियमित आधार पर ब्लॉक/जिला स्तर पर जागरूकता कैंप आयोजित किए जाते हैं। आवेदन भरने और बैंकों से ऋण प्राप्त करने के लिए 70 से अधिक रिसोर्स व्यक्तियों को उद्यमों की सहायता हेतु लगाया गया है।
मंत्री ने मिर्च, गाजर और टमाटर की प्रोसेसिंग के लिए विभाग को और अधिक प्रस्तावों को बढ़ावा देने के निर्देश दिये क्योंकि पंजाब में ये फसलें बहुत अधिक मात्रा में उगाई जाती हैं और ये फसलें कम पानी की खपत करती हैं।
डायरैक्टर-कम-सचिव मंजीत सिंह बराड़ ने मीटिंग में शामिल भागीदारों का धन्यवाद किया और मंत्री को किसानों की प्रगति के उनके दृष्टिकोण को सफलतापूर्वक लागू करने का भरोसा दिया।
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